कांशीराम के जन्मदिन पर मायावती का ऐलान, अकेले दम पर लड़ेंगे यूपी चुनाव... नहीं करेंगे गठबंधन

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) सुप्रीमो और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती (Mayawati) ने अगले साल यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान किया है। मायावती ने कहा है कि उनकी पार्टी अगला विधानसभा चुनाव अकेले दम पर लड़ेगी। इन चुनावों में वह किसी भी राजनीतिक दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी। बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने एक तरफा जीत हासिल करते हुए यूपी की सत्ता पर कब्जा जमाया था।
बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) के संस्थापक कांशीराम के जन्मदिन के मौके पर सोमवार को पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने कहा कि यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी और जीतेगी। मायावती ने कहा कि बसपा ही एक मात्र पार्टी है जो कांशीराम के उद्देश्य को आगे लेकर बढ़ रही है। गठबंधन ना करने के फैसले पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि गठबंधन करने पर दूसरी पार्टी को फायदा होता है हमें नहीं।
Only BSP has given its everything to take forward his work so that Dalits, oppressed, tribals, backward classes, Muslims & other religious minorities can lead a life of dignity. BSP is working hard to prepare them: BSP chief Mayawati on birth anniversary of BSP founder Kanshi Ram pic.twitter.com/w8C7kf1iRu
— ANI UP (@ANINewsUP) March 15, 2021
बसपा (Bahujan Samaj Party) अध्यक्ष (Mayawati) ने कहा कि देश के कई राज्यों में विधानसभा के चुनाव हो रहे हैं, हमारी पार्टी केरल, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में भी चुनाव अकेले अपने बलबूते पर लड़ रही है। हमारी पार्टी इन चार राज्यों में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
इस दौरान मायावती (Mayawati) ने केंद्र और राज्य सरकार पर भी जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि जब देश के किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों से सहमत नहीं हैं तो केंद्र सरकार को कानूनों को वापस लेना चाहिए। जिन किसानों की इस आंदोलन में मौत हुई है उनके परिवारों को केंद्र और राज्य सरकारों को उचित आर्थिक सहायता और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि केवल बसपा (Bahujan Samaj Party) ने अपना सब कुछ दिया है, ताकि दलितों, शोषितों, आदिवासियों, पिछड़े वर्गों, मुस्लिमों और अन्य धार्मिक अल्पसंख्यकों का सम्मान हो सके।